UPI भुगतान शुल्क: अच्छी खबर! UPI पेमेंट सर्विस होगी पूरी तरह से फ्री, जानिए वित्त मंत्रालय ने क्या कहा- यहां देखें
UPI भुगतान शुल्क: वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि UPI भुगतान सेवा पर कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। सरकार ने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वित्तीय सहायता जारी रखने का निर्णय लिया है।
यूपीआई भुगतान पर शुल्क: हाल ही में खबर आई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक यूपीआई भुगतान की समीक्षा कर रहा है। कहा गया था कि रिजर्व बैंक यूपीआई पेमेंट पर एमडीआर चार्ज यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट लगाने पर विचार कर रहा है। अब इस संबंध में वित्त मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा किए गए एक ट्वीट में कहा गया कि UPI एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो जनता के लिए बहुत सुविधाजनक है और अर्थव्यवस्था में इसका बड़ा योगदान है।
सरकार UPI पेमेंट सर्विस पर किसी भी तरह का चार्ज लगाने पर विचार नहीं कर रही है। सेवा प्रदाताओं के लिए लागत वसूली के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा। डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सरकार ने पिछले साल वित्तीय सहायता की घोषणा की थी। यह मदद इस साल भी जारी रहेगी।
1500 करोड़ की आर्थिक सहायता दी गई
UPI भुगतान शुल्क: वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि UPI भुगतान सेवा पर कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। सरकार ने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वित्तीय सहायता जारी रखने का निर्णय लिया है। पिछले साल सरकार ने डिजिटल भुगतान प्रणाली के कारण एमडीआर शुल्क के नुकसान के लिए 1500 करोड़ रुपये की घोषणा की थी।
UPI एक डिजिटल सार्वजनिक वस्तु है जिसमें जनता के लिए अत्यधिक सुविधा और अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादकता लाभ है। UPI सेवाओं के लिए कोई शुल्क लगाने के लिए सरकार में कोई विचार नहीं है। लागत वसूली के लिए सेवा प्रदाताओं की चिंताओं को अन्य माध्यमों से पूरा करना होगा। (1/2)
– वित्त मंत्रालय (@FinMinIndia) 21 अगस्त 2022
1 जनवरी 2020 से UPI सर्विस चार्ज फ्री है
सरकार ने 1 जनवरी 2020 को RuPay डेबिट कार्ड और UPI को चार्ज फ्री कर दिया था। ऐसे में हर ट्रांजैक्शन पर MDR चार्ज का नुकसान होता था। इसकी भरपाई के लिए ही आर्थिक मदद दी जा रही है. आपको बता दें कि UPI सेवा ऑनलाइन लेनदेन का सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय माध्यम बन गई है। एनपीसीआई के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में यूपीआई की मदद से 600 करोड़ का लेनदेन किया गया। इन ट्रांजैक्शन की मदद से 10.2 लाख करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन पूरा हुआ। मासिक आधार पर सैकड़ों करोड़ के लेन-देन से होने वाले एमडीआर चार्ज नुकसान का अनुमान लगाया जा सकता है।